एक था मुख्तार अंसारी। जीवन के अनछुए पहलू।

           


मुख्तार अंसारी जिनके जीवन के कई रूप है बताया जाता है क्रांतिकारी परिवार के साथ उनका संबंध था।

पारिवारिक इतिहास:-मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बेहद करीबी रहे। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। गाजीपुर का जिला अस्पताल उन्हीं के नाम पर है दिल्ली में उनके नाम पर एक मशहूर इलाके की सड़क का नाम प्रचलित है। और दिल्ली में अंसारी नगर भी है इसके अलावा मोहम्मद हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति और शौकत उल्लाह अंसारी उड़ीसा के एक राज्यपाल और न्यायमूर्ति आसिफ अंसारी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज इन्हीं सब कारणों से मुख्तार अंसारी के परिवार का काफी सम्मान पूर्वांचल में है। उनके नाना को नौशेरा का शेर कहा जाता था उनके नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना में अफसर थे 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध करते हुए मोहम्मद उस्मान ने कोट और झंगड़ इलाकों को कबायली पठानों से आजाद कराया था उस युद्ध में पाकिस्तान ने मोहम्मद उस्मान के सिर पर 50000 का इनाम रखा था इसी युद्ध में 3 जुलाई 1948 को मोहम्मद उस्मान शहीद हो गए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया।


         मुख्तार अंसारी ने 1996 में बसपा से टिकट पाकर मऊ से चुनाव लड़ा व विधायक बने। मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी भी पांच बार विधायक और दो बार सांसद रहे उनका बेटा भी विधायक है परिवार का राजनीतिक इतिहास है।

        मुख्तार अंसारी के दरवाजे पर चाहे किसी भी जाति का व्यक्ति मदद के लिए क्यों ना चला जाए वह खाली हाथ नहीं आया।

        इसी कहानी का एक दूसरा पहलू है माफिया जिसके ऊपर 1978 में धमकी देने का पहला मुकदमा दर्ज हुआ और 1986 में हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ। 2005 से मुख्तार अंसारी जेल में बंद थे 2022 में 8 मुकदमों में उनको दोषी करार दिया।

        माफिया और राजनीतिक जीवन को जीने वाला मुख्तार अंसारी जिसका अंत बहुत ही संदेहजनक हालत में हुआ। हालात बता रहे हैं कि उनको मारा गया परंतु डॉक्टरी रिपोर्ट हार्ट अटैक की बात कर रही है सच क्या है यह तो आने वाला समय बताएगा परंतु अगर उनकी हत्या हुई है और प्रशासन को नियंत्रण में करके हुई है तो यह हमारे देश के संविधान और हमारे प्रजातंत्र की हत्या भी है हालांकि उनका अपराधिक इतिहास देखकर मेरी बातों से कई व्यक्ति सहमत नहीं होंगे परंतु हमारे देश का संविधान इस तरीके से मृत्यु की इजाजत नहीं देता है। मुख्तार अंसारी ने अपने जीवन में इंसानियत को शर्मसार करने वाले चाहे कितने भी घटना क्रम क्यों ना घटित किए हो परंतु हम हैवान के साथ हैवान नहीं बन सकते। हमारा संविधान हमें इस बात की इजाजत नहीं देता है।

                               जय हिंद।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Featured post

मोदी जी इस बार शायद मुश्किल है। (एक रिपोर्ट)