तरसेम सिंह एक बाबा या शैतान।

     



     




 गुरुद्वारा
नानकमत्ता साहिब के साथ वाले डेरे में बाबा तरसेम सिंह की हत्या (जिस नाम से वह प्रचलित थे) के बाद कई विवाद शुरू हो गए लोगों ने कमेंट करके उन्हें गलत प्रवृत्ति का आदमी बताया है परंतु उनके देह संस्कार के समय आई भीड़ संगत में उनकी पकड़ को भी दर्शाती है।

             राजस्थान गुरुद्वारा कमेटी के सेवादार हरमीत सिंह डिब्बडिब्बा ने बाबा तरसेम सिंह को मस्से रंगड़ की उपाधि दी उनके खिलाफ 20 साल तक जंग लड़ने की बात कही और कहा कि उनके हौसले प्रस्त होने लगे थे परंतु उन दो व्यक्तियों ने बाबा तरसेम सिंह की हत्या करके गुरुद्वारे को साफ कर दिया।


आरोप गंभीर है। यहां तक कई व्यक्तियों ने कहा कि उन्हें बाबा तरसेम सिंह को बाबा कहने तक में शर्म आ रही है। क्या है सत्य जानने का प्रयास करते हैं।

           सिक्ख धर्म में गुरुद्वारे में कुछ मान्यताएं होती हैं। परंतु बाबा तरसेम सिंह ने कुछ समय पहले गुरुद्वारे में औरतों का डांस करवा कर गुरु की मर्यादा को ठेस पहुंचाई। अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में मुख्यमंत्री को सम्मान देने के लिए गुरुद्वारे की परंपराएं तोड़ी। इसी कारण से उनका विरोध हुआ। कहने वाले तो कहते हैं कि बाबा औरतों की इज्जत उतरता था। परंतु उनके देह संस्कार के समय  संगत की भीड़ उनके किरदार को दर्शाती है।


बाबा तरसेम सिंह के खिलाफ अमृतपाल सिंह ने भी एक वीडियो डाली थी उनके द्वारा की गई हरकतों पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उन्हें तनखाहिया घोषित किया था यानी कि 15 दिन तक गुरुद्वारे में बर्तन मांजने की सजा उन्हें मिली थी। बाबा तरसेम सिंह का नियंत्रण गुरुद्वारा नानकमत्ता की कमेटी में बहुत था उनकी सहमति के बिना कमेटी चुनी नहीं जाती थी इस कारण से गुरुद्वारे की राजनीति में भी उनका विरोध जरूर होगा। गुरुद्वारे में कोई उनके सामने बोलने की हिम्मत नहीं करता था कहते हैं क्षेत्र के बदमाशों से उनके रिश्ते थे और वह पुलिस के मुखबिर थे।

डिब्बडिब्बा ने बाबा तरसेम सिंह को निहंग पूहला कहा। उन्होंने कहा पता नहीं कितने जटाने तरसेम सिंह ने खत्म करवाए। तरसेम सिंह को एजेंसियों का मुखबिर बताया। उन्होंने कहा कि उनके भोग पर कौन-कौन व्यक्ति आता है उनकी निशानदेही करनी जरूरी है क्योंकि वह कभी भी सिक्ख कौम के शुभचिंतक नहीं हो सकते।

            बाबा तरसेम सिंह की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले व्यक्तियों के नाम


सरबजीत सिंह मियांविंड अमृतसर व अमरजीत सिंह

नंगली चौक अमृतसर
इन दो व्यक्तियों ने बाबा तरसेम सिंह की हत्या की उनकी भाषा में बाबा तरसेम सिंह का सौन्दा लगाया। सरबजीत सिंह ने अपनी फेसबुक अकाउंट से इस हत्या की बात को स्वीकार और उनकी लोकेशन ढाका (बांग्लादेश) आ रही है उन्होंने कहा कि जो संत बाबा गुरुद्वारे की मर्यादा को नुकसान पहुंचा रहे हैं उनका भी अंत किया जाएगा। और समय आने पर वह गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सामने पेश होंगे। इन दोनों व्यक्तियों को इस घटना पर कोई भी गिला नहीं है।

       अब आज का सवाल बाबा तरसेम सिंह वाक्य में संत आदमी था या एक शैतान था कृपया कमेंट करके बताएं।

                    जय हिंद।

              

            

        

        

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