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लोकसभा चुनाव में कौन सी पार्टी जीतेगी तो सभी कहेंगे विपक्ष मजबूत नहीं है मोदी जी ही दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे और हम कहें कि मोदीजी शायद इस बार मुश्किल है तो आप कहेंगे यह जरूर किसी दूसरी पार्टी के समर्थक है जबकि दोस्तों ऐसा नहीं है हम भविष्यवाणी तो नहीं कर रहे लेकिन जो विश्लेषण किया है अगर उसके अनुसार मापदंड सही बैठे तो इस बार मोदी जी के लिए बहुत बड़ी मुश्किल होने वाली है। इसी बात पर विचार विमर्श करते हैं।
मोदी जी ने एक नारा दिया है अबकी बार 400 पार जिसमें बीजेपी की 370 सीटें बताई गई। इसी पर बात करते हैं जैसे अगर 370 सीटों पर जीत लानी है तो कम से कम 450 सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा। और सहयोगी दलों के होते हुए 450 सीट बीजेपी की संभव है जैसे क्रिकेट में बल्लेबाज का स्ट्राइक रेट देखा जाता है वैसे बीजेपी का स्ट्राइक रेट इतना ज्यादा है कि वह 370 सीट पर जीत पाएगी। अब आप कहेंगे कि मोदीजी ने क्यूं कहा तो इस पर कहना चाहेंगे कि अगर वह ऐसा ना कहते तो हम बात कर रहे होते कि बीजेपी जीतेगी या हारेगी परंतु उन्होंने ऐसा कहा तभी तो हम इस बात के ऊपर बात कर रहे हैं और यह हमारे मोदी जी का एक जुमला है। अब यह जुमला क्यूं छोड़ गया। ताकि लोगों के मन में हार की बात ना जाए यह जाए कि बीजेपी कितनी सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाएगी।
जबकि हालत यह है कि जैसे तेजी से घटना क्रम घटित हुआ है भ्रष्टाचार के मामलों में मोदी सरकार जनता की नजर में तानाशाही सरकार के रूप में प्रचारित हुई है जैसे सरकारी संस्थाओं का इस्तेमाल कर विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है पार्टी फंड के नाम पर धंधा बांटा गया इन सब कारणों से मोदी जी की छवि जनता की नजर में गिरी है मणिपुर और लद्दाख का मुद्दा भी मोदी जी की छवि को गिर रहा है मीडिया चाहे इन मुद्दों पर बोले या ना बोले परंतु किन्हीं कारणों से आम जनमानस तक यह मुद्दे पहुंच रहे हैं और यहां हम कहें कि बीजेपी 230 सीटों पर बहुत मुश्किल से पहुंच रही है तो यह बात हैरान कर देगी।
जो व्यक्ति सत्ता के शिखर पर होता है वह जमीनी हकीकत को नहीं महसूस कर पाता। वह अंतिम क्षण तक भी यही सोचता है कि सब कुछ सही चल रहा है और मोदी जी ने तो मीडिया की आवाज को भी बंद कर दिया मीडिया की आवाज देश की जनता को तो जाग्रत करती ही है आपको भी मुद्दों के साथ में जोड़ती रहती है आपको महसूस होता रहता है कि कहां गड़बड़ है अब आप अंदाज लगाइए हरियाणा पंजाब के बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं मीडिया में कभी खबर सुनी आपने जो व्यक्ति स्थिति का लाभ उठा रहे हैं वह मोदी जी तक भी पूरी समस्या नहीं पहुंचने देंगे। यहीं से जनता में छवि गिरेगी। स्थिति का लाभ उठाने वाले राजनीतिक नहीं है बिजनेसमैन। अब आप महंगाई, बेरोजगारी पर बात करें यहां पर मैं इतना कहना चाहूंगा कि मनरेगा जो कि गांव में स्कीम चलती है उसमें सरकार ने जो वार्षिक बजट रखा था वह पैसा 6 महीने में ही खपत हो गया अब इससे सरकार पर कैसे उंगली उठती है यह बताना चाहूंगा महानगरों में काम नहीं है और जो लेबर वहां काम करती थी वह अपने गांव की तरफ वापस आ रही है और मनरेगा में काम कर रही है तो मनरेगा में ज्यादा लेबर होने के कारण 1 साल का बजट 6 महीने में पूरा हो गया। यहां से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महानगरों में रोजगार की तलाश में गई गांव की जनता रोजगार न मिलने के कारण वापस अपने घरों को लौटी तो बेरोजगारी नहीं है यही बेरोजगारी और महंगाई जिस पर मीडिया नहीं बोलता है सरकार के लिए समस्या बनने वाली है।
जो लोग नौकरियां कर रहे हैं उनकी तनख्वाह नहीं बढ़ी। हमारे नौजवान रोजगार की तलाश में
ग़ज़ा पट्टी जाने के लिए तैयार है यहां लड़ाई चल रही है वह अपनी जान को खतरे में डालकर नौकरी करने के लिए तैयार है और यह सब जमीनी हकीकत है। नौजवान रशिया जा रहे हैं यूक्रेन जा रहे हैं वहां भी युद्ध चल रहा है मोदी जी को इन सब समस्याओं से कोई मतलब ही नहीं है तानाशाही राज चलाने के चक्कर में मोदी जी जन समस्याओं को भूल गए। यही चीज जनता को अंदर ही अंदर खा रही है।
अब बात करते हैं अगर मोदी जी 230 पर रह गए तो बाकी के समर्थन कैसे जुटाएंगे यहां पर यह भी कहना उचित है जैसा व्यवहार अपने साथियों के साथ किया गया है तो शायद मोदी जी को कोई इस बार समर्थन भी ना दे। अभी तो डर में कोई नहीं बोल रहा है लेकिन आगे जाकर यह बंद जुबाने खुलेगी। बाकी आप अपने कॉमेंट करिएगा।
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