ख़ालिस्तान को लेकर हो रही राजनीति।
ख़ालिस्तान का मुद्दा आखिर है क्या:-
पुराने भारतवर्ष में महाराजा रणजीत सिंह के राज को खालसा राज कहा जाता था। जब भारत आजाद हुआ। तो उस समय की रियासतें जिनका गठबंधन हुआ एक भारत बना। और बाकी रियासतों के गठबंधन से पाकिस्तान वजूद में आया। गठबंधन😊 के साथ उस समय के हुक्मरानों ने रियासतों को अपने साथ जोड़ने के लिए कुछ वादे किए और जिसकी जो इच्छा थी वह उस देश का हिस्सा बन गया। कुछ समय बाद सिक्खों 💜के नेताओं ने भारत के नेताओं पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया, कुछ ऐसा ही हाल पाकिस्तान में बलूचिस्तान को लेकर है कहा जाता है सिक्ख कम्युनिटी के साथ पक्षपात होता है। और खालिस्तान मुद्दे को लेकर राजनीति से कई लोगों ने करोड़ों रुपया बना लिया और अब फिर यह मुद्दा चर्चाओं का कारण है।
पाकिस्तान पर लगता है आरोप:-
धर्म को लेकर राजनीति:-
राष्ट्रीय सेवा संघ और भाजपा दोनों की विचारधारा में एक बात चली है। कि भारत में हिंदुओं के साथ पक्षपात हुआ है। हिंदू अपने अधिकारों को लेकर सुरक्षित नहीं है। इसीलिए हिंदू राष्ट्र का निर्माण होना चाहिए। अब जब देश में ज्यादा संख्या होने पर भी हिंदू सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा।💙 और हिंदू राष्ट्र की मांग हिंदू संगठन कर रहे हैं। तो सिक्खों का तो खालसा राज था इसीलिए भारत में मात्र 2% आबादी के सिक्ख समुदाय के लोग अगर उनके मूल अधिकारों से पक्षपात के कारण वंचित रह जाते हैं तो उन्हें हक है अपने खालसा राज को वापस पाने का इसकी सिक्ख समुदाय के लोगों को जानकारी होनी चाहिए। ना की यह प्रचार हो कि खालिस्तान को पाकिस्तान उकसा कर बनवाना चाह रहा है। हमारे समाज में सिक्खों ने कभी भी अलग राज की मांग नहीं की। अगर कुछ सियासतदानों की सियासत को छोड़ दिया जाए तो समाज में सिक्ख समुदाय के लोग शांतिमय ढ़ंग के साथ रहते रहे हैं। शांति से देश और समाज की सेवा👍 करने वाले सिक्खों को गंदी राजनीति का शिकार होना पड़ा। जिसका उदाहरण 1984 के दिल्ली दंगों, उससे पहले आजादी के समय सबसे ज्यादा नुकसान सिक्ख समुदाय का हुआ और बाद में पंजाबी सुब्बा बनाने के नाम पर बचे हुए पंजाब के भी टुकड़े कर दिया और सिक्खों को सीमित कर दिया। लेकिन कभी भी सिक्ख समुदाय ने पक्षपात का इल्जाम लगाकर खालिस्तान की मांग नहीं की। हां कुछ नेता राजनीति जरूर करते रहे।
अमृतपाल सिंह के आने पर खालिस्तान की मांग उठी:-
जानकारी के अभाव में और सोशल मीडिया के इस युग में यहां पर सोशल मीडिया के अधूरी जानकारी वाले लोगों ने अमृतपाल सिंह और संत जरनैल सिंह भिंडरावाले को जोड़ दिया। जबकि संत जरनैल सिंह ने कभी भी देश को तोड़ने की बात नहीं कही उनका कहना था कि सिक्खों को उनके अधिकार मिलने चाहिए। राजनीतिक लोगों ने उसे खालिस्तान की मांग के साथ जोड़ दिया। तो संत जी ने कहा हम पंजाबी सुब्बा मांगते हैं परंतु अगर आप खालिस्तान दे देंगे तो हम मना भी नहीं करेंगे। और हैरानी की बात यह भी है ऑपरेशन ब्लू स्टार में शहीद होने वाले संत जरनैल सिंह भिंडरावाले पर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं था। कहा जाता है संत जी के साथ में मुलाकात करने वाले कई बड़े नेता उनकी बात से सहमत हो जाते थे। और संत जी के फैन हो जाते थे। जिसका एक बड़ा उदाहरण सुब्रमण्यम स्वामी जो आज भी संत जी की तारीफ करते हुए नहीं थकते। अमृतपाल सिंह दोबारा से पंजाब के अंदर ख़ालिस्तान की बात को उठा रहे हैं जबकि उनकी शुरुआत नशा उन्मूलन मुहिम से हुई थी। वैसे भी हमारे देश का समाज अलग-अलग धर्म के ठेकेदार नेताओं के कारण बंटा हुआ है कोई दलितों के हक की बात कर रहा है कोई हिंदू धर्म की रक्षा की बात कर रहा है और कोई खालिस्तान की बात कर रहा है ।
समाज में धर्म को लेकर क्या है माहौल:-
अगर हम अभी कुछ कट्टरपंथी लोगों को छोड़ दें तो समाज में लोग आपसी प्रेम और एक अच्छे व्यवहार के साथ रह रहे हैं। भगवान की भक्ति में लीन लोग हर धर्म का आदर करते हैं देखा गया है कि कुछ हिंदू समुदाय के लोग गुरुद्वारा साहिब में लंगर लगाते हैं। और सिक्ख समुदाय के लोग मंदिर में माथा टेकने जाते हैं। यहां तक हर धर्म के लोग मजार पर चादर चढ़ाने भी जाते हैं कुछ मुद्दे या घटनाओं को अगर अनदेखा कर दें तो हमारा भारतीय समाज बिना किसी भेदभाव के आपसी प्रेम के साथ रह रहा है। कुछ शरारती लोग माहौल को खराब करने की कोशिश करते हैं। युवा वर्ग पर इनकी बातों का कुछ असर होता है परंतु वक्त के साथ व्यक्ति की सोच परिपक्व होती है और समाज के सब धर्म के लोग एक दूसरे को समझते हैं। यह हम भारतीयों का सत्य है।
NRI क्यों चाहते हैं खालिस्तान:
विदेशों में बसने वाले पंजाबी खालिस्तान की तरफ झुकते हुए नजर आते हैं इसके पीछे का कारण है एक तो अपनी मिट्टी और सभ्यता से दूर एक अनजान देश में रहते हुए। अपनी मिट्टी की तरफ का खिंचाव होना स्वाभाविक बात है दूसरा जो जख्म इतिहास में सिक्ख समुदाय को मिले हैं उसके कारण मन में नकारात्मक सोच का हावी होना स्वभाविक है। इसी कारण से विदेशों में बैठे कुछ पंजाबी भारत के प्रति नेगेटिव होते जा रहे हैं। इनमें वह लोग भी है जिन्हें पंजाब के काले दौर के समय पंजाब छोड़ना पड़ा था। उनकी मानसिकता तो भारत के💛 प्रशासन के प्रति नेगेटिव होगी ही। विदेशों में बसने वाले ज्यादातर पंजाब के लोग भारत के प्रशासन से खुश नहीं है और यहां से लेकर गए नेगेटिव अनुभव उन्हें भारत से दूर करते हैं
कुछ नेता सिक्खों को बहुत पसंद करते हैं:-
भारत के कुछ नेता सिक्खों को उनके गौरवशाली इतिहास के कारण बहुत सम्मान देते हैं। जिनमें योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे ऊपर है। योगी जी इतिहास में सिख गुरुओं की कुर्बानी को बहुत ही सम्मान देते हैं। गुरु ग्रंथ साहिब को अपने सिर पर अपने निवास पर लेकर आना और गुरु के जाप👌 करवाना उन्हें बहुत पसंद है। योगी जी सिक्खों से बहुत लगाव करते हैं। जहां एक तरफ पंजाब को कांग्रेस और अकाली दल ने डुबाने का प्रयास किया। वहीं योगी जी और बीजेपी के कुछ नेता सिक्खों के लिए कुछ अच्छे प्रयास कर रहे हैं। यह सच है धर्म के नाम पर राजनीति होती है और खालिस्तान का मुद्दा इस समय पूरा गर्म है बाकी आप अपने विचार रखें।🙏
जय हिंद।😍
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