सभी इंसाफ का
पीछा छोड़ साख बचाने पर लगे हैं। एक रिपोर्ट ?
शुभदीप सिंह सिद्धू के रिश्ते पुलिस तफ्सीस में बम्बईया
गैंग से जुड़ रहे हैं। अफ़साना खान जो कि शुभदीप की मुंहबोली बहन बनी थी जब उसको
तफ्सीस में बुलाया गया तो ये बात उसके माता-पिता को चुभी और उन्होंने बताया कि अगर
हमें इन्साफ नहीं मिलेगा तो हम भारत छोड़ देंगे। और वो चले विदेश की तरफ उनके इस
कदम से भारत की साख अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित होगी। चाहे हमारा मीडिया इस बात
को ज्यादा न कहे परन्तु यहाँ हो सकता है। कि पूरी बात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न
पहुंचे परन्तु जो बात छनकर बाहर सबसे ज्यादा जायेगी। कि सिद्धू को इन्साफ नहीं
मिला जिसके कारण उसके माता-पिता विदेश में हैं। और उन लोगों से मिल रहे हैं जो
भारत से किन्ही कारणों से प्रभावित हैं। जाहिर सी बात है। नेगेटिव ज्यादा उठेगा
क्यूंकि बाहर भी उन्ही से संपर्क किया जा रहा है। जो पहले से ही भारत के माहौल से
नेगेटिव् हैं।
वैसे विश्नोईगैंग ने भी इसी बात को उछाला है कि सिद्धू के रिश्ते उनके विरोधी गैंग बम्बईया से थे। और जांच भी उसी तरफ जा रही है। अपने मृतक बेटे की साख बचाने के लिए माता-पिता संघर्ष कर रहे हैं। और पंजाब में बनी पहली बार की सरकार आम आदमी पार्टी अपने आपको साफ़ सुथरा साबित करके दूसरी पार्टियों के सिर पर इन गैंगस्टर गैंगों की ठीकरी फोड़ने का काम करती नजर आ रही है। और अगर मीडिया रिपोर्ट और पुलिस या एजेंसियों की रिपोर्ट जो मिडिया में आ रही है। राजनीति से प्रभावित नहीं है। तो पंजाब सरकार बिलकुल सही जा रही है। क्यूंकि सिर्फ एक हत्या की सजा नहीं उन सब कारणों पर भी विचार - विमर्श जरूरी है। जिनकी वजह से हालात जहाँ तक पहुंचे और अगर गड़े मुर्दे उखाड़े गए तो बदबू तो आएगी और यहाँ लग रहा है। इन्साफ को पीछे छोड़ कर सभी साख को बचाने पर लगे हैं।
इसमें केंद्र की बीजेपी भी आती है। जो साख के साथ अपनी जमीन भी
पंजाब में तलाश रही है। इसलिए भगवंत मान की सरकार का संघर्ष और कड़ा हो जाता है।
यहाँ ये कहना गलत नहीं है। कि ज्यादातर गैंगस्टर दिल्ली या पंजाब के बाहर की जेलों
में हैं। और विदेशो में हैं। यहाँ पर केंद्र सरकार का हस्तक्षेप ज्यादा है। और दिल्ली
पुलिस का भी तफ्सीस में लगे होना। केंद्र की भूमिका को मुख्य करता है।
इसलिए शुभदीप सिद्धू मूसे वाले के माता-पिता ने विदेशो
का रुख किया शायद केंद्र और पंजाब सरकारों को दबाव में लिया जा सके। यहाँ ये भी
कहना गलत नहीं होगा कि सिद्धू पंजाब कांग्रेस का विधानसभा का उम्मीद वार था। ये
सभी बातें यहाँ सिद्ध करती हैं। कि अगर यह मामला नैतिकता या इन्साफ का नहीं अपनी
अपनी साख को बचाने का है। जब तक ऐसे ही राजनीति होती रहेगी तब तक हम इन्साफ और नए
समाज की स्थापना नहीं कर सकते। अगर ऐसे ही हम बचने का या दूसरों को नीचा दिखाने का
प्रयास करते रहेंगे हम शान्ति का और शकुन का माहौल कैसे बना पाएंगे। और इस मामले
पर मीडिया अब कम बोल रही है। शायद TRP नहीं मिल पाएगी क्यूंकि
खबर को उछालने वाले भी अपनी साख को बचाने पर लगे हैं तो कौन सुनेगा या पढ़ेगा वो
लोग जो खुद रोटी के जुगाड़ में सरकारों की नीतियों में उलझे हैं।
बाकी दोस्तों ये मेरे निजी विचार हैं। अगर आप चाहे तो
कमेंट या शेयर कर सकते हैं।
जय हिन्द।
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