Panjab News :- पंजाब में पनपा विवाद उसके पीछे का कारण क्या है। इसी पर विचार विमर्श करते है।



सुधीर सूरी की हत्या और अमृतपाल सिंह के द्वारा कुछ कार्य समाज के हक़ में करने के बाद लोगों को उकसाने वाले ब्यान से बने हालात सब चिंता व चिंतन का विषय है। इसके बारे में अलग अलग बुद्धजीवियों ने विचार प्रकट किये हैं। सोचा मई भी कुछ कहूं। पंजाब के हालात जो बन रहे हैं ये राजनीति पंजाब के लिए नई नहीं है। आज तक जो पंजाब का बंटवारा हुआ है। उसके पीछे का कारण है। हम लोग नैतिकता के आधार पर बातचीत करते है जबकि अन्य समाज के कुछ लोग उसी के उल्टे चलते है। उनके लिए सिद्धांतों के मायने अलग है। इसीलिए सिख गुरुओं ने खालसा फ़ौज बनाई थी जिसका मकसद इंसानियत की सेवा था। और भुगता भी हम लोगों ने है। अब सुधीर सूरी, अमित अरोड़ा आदि नेताओं ने अपनी वाह-वाही के चक्कर में और अमृतपाल सिंह ब्यानों ने पंजाब को 80 के दशक में दोबारा खड़ा कर दिया है। प्रशासन तब भी चुप रहा और अब भी चुप है। इन्तजार हो रहा है कि हालात बिगड़े। इस समय पंजाब में हत्याओं का दौर चल रहा है। प्रशासन की भूमिका संदेह जनक है। जिस पंजाब ने किसानी आंदोलन के दौरान अगुवाई की थी वही पंजाब में इतिहास को दोहराकर जवाब दिया जा रहा है। दिल्ली के सामने जब जब पंजाब खड़ा हुआ जीता और हुकुमरानों ने दांव बदला हम खुश हुए हम जीत गए कुछ समय बाद जब विश्लेक्षण किया तो पाया हम हार गए। वर्तमान में जो हालात दिख रहें हैं। वो इसी तरफ इसारा कर रहें हैं। और यही इतिहास है इसलिए शासन और प्रशासन कुछ बड़ा होने के इन्तजार में मूकदर्शक बना हुआ है। इसलिए अमृतपाल सिंह कहाँ से आया सवाल ये नहीं है हत्या हो रही है। अब तो ये भी नहीं है अब ये है। इस सब का असर क्या होगा। भविष्य के गर्भ में क्या है पंजाब पर क्या प्रतिक्रिया होगी ये सोचने का विषय है। आपने कभी सोचा है हमसे हमेसा सौतेला व्यवहार क्यूँ होता है। क्यूँ हम तर्क देकर निति की बात करते है। और हमारे नेता अपनी पावर का इस्तेमाल कर हमारे देश को लूट रहें हैं। हमें समझ न आये तो हमें उलझा रखे हैं। अलग अलग मुद्दों पर और हर बात या मुद्दे को ऐसा पेश किया जाता है। जैसे ये मेरे स्वाभिमान पर हमला है। क्रोध और उत्तेजना में हम भूल जाते हैं कि हमें चाहिए क्या और यही पंजाब में चल रहा है ये मूलसार है।





मेरे बड़े परिवार को चलाने वाले व्यक्ति थे इसी कारण से वो इस राजनीति को समझ नहीं पाए और उन्होंने ये कहकर मुझे पंजाबी नहीं पढ़ने दी कि संस्कृत में 5 नंबर ज्यादा आते हैं। उनके दिल में मैल नहीं थी वो राजनीति को नहीं समझते थे। इसी कारण से जो निषुणता मुझमें हिंदी को लेकर है। वो पंजाबी को लेकर नहीं आती। इसी कारण ये लेख हिंदी में है और आप लोगों को जागरुक कर रहा हूँ। हम लोगों ने गलत के खिलाफ आंदोलन लड़ा है। और बहुत कुछ सीखा लेकिन अभी हमारे अंदर के कई लोगों में ईमानदारी की कमी है। जरुरत है। ऐसे लोगों को पहचानने की और अपने पंजाब के हालातों को शांतमय ढंग से सुधारने की उसके लिए जागे और सबसे पहले उन व्यक्तियों की तलाश करें जो हत्या जैसा अपराध करके समाज के वर्गों में दूरियां डाल रहें हैं। ये जिम्मेदारी सबकी है। जो प्रेम करते है। अपने पजाब से, संस्कृतिव सभय्ता से जो चाहते है। अमन और शान्ति हो और हम लोग फिर से मिसाल बनकर उभरें।

धन्यवाद।

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