आज एक ब्लॉग में लाहौर का किला यहाँ महाराजा रणजीत सिंह का राज था देखने का मौका मिला और एक पेंटिंग भी देखी यहाँ पर दिखाया गया कैसे महाराजा के दरबार में लोगों से बात होती थी।
इस विषय को दो कारणों से चुना एक तो विरासत पुराने समय में राजा महराजा कैसे पेंटिंग या चित्रकारी के द्वारा अपने समय को जिन्दा रखते थे उनके हथियारों को देखकर महसूस होता है। उनकी सोच कैसी होगी। और किले का निर्माण देखकर हम अंदाजा लगा सकते हैं। वो कैसे सुरक्षित रहते थे। और कैसे लम्बे समय तक उनके बनाये भवन टिके रहते हैं। जैसे बताया गया लाहौर के किले में सीमेंट नहीं लगा और उसके निर्माण में कस्तूरी चूना डाले, और जानवरों कीहड्डियां का मिक्क्चर बना कर भवन निर्माण किया गया जिससे भवन निर्माण के बाद भवन 1000 साल तक ख़राब नहीं होता और सीमेंट से बने भवन की अवधि 100 साल होती है। अब उस समय के लोग कैसे सोचते होंगे जैसे सीमेंट और बालू , मौरंग से अब भवन निर्माण होता है। उस समय की क्या सोच होगी। आज हम अपने इतिहास को याद रखने के लिए फोटो रखते हैं। उस समय से सब चित्रकारी या पेंटिंग के माध्यम से इतिहास को दर्शाया जाता है। एक बात और ये सब चीजें इस बात को भी दर्शाती हैं। कि कैसे बदलाव हुआ उस समय की जंग की पौशाक का वजन 25 किलो था परन्तु अंग्रेजों ने तमंचों का निर्माण किया जिसके सामने वो पौशाकें कारगार नहीं थीं। इसमें कैसे कैसे तरक्की हुई हम लोग अंदाजा लगा सकते हैं।
लाहौर का किला सिखों को भी मोटिवेट करता है। जिसमें 330 वर्ष मुगलों का राज और 100 साल अंग्रेजों ने राज किया इसी बीच में 40 साल तक सिखों का भी राज रहा जो यहाँ के मूल थे गुरु गोविन्द सिंह जी ने सिखों को ऐसे गाईड किया कि वो सत्ता तक पहुंचे महाराजा रणजीत सिंह के नेतृत्व में ये बात सिखों की ताकत और समझ को दर्शाती है। अगर उस समय लाहौर पाकिस्तान को न दिया होता और कोलकाता को भारत में लेने के बदले क्यूंकि अंग्रेजों को हमारे इतिहास से कोई मतलब नहीं था उन्होंने कोलकाता को एक बन्दरगाह के कारण ज्यादा महत्त्व दिया गया। वैसे भी उन प्रदेशो को हराया गया जो कांग्रेस से ज्यादा सहमत नहीं थे। जैसे पंजाब और बंगाल अब आप कह सकते हैं। ऐसा क्यूँ इसके ऊपर तर्क है। पाकिस्तान इकठ्ठा क्यूँ नहीं बना दो भागों में कैसे बना ये समझ से परे सवाल हैं। चलिए बात करते हैं। 40 साल के सिख इतिहास की, सिखों का वजूद उस समय के जबर के खिलाफ पैदा हुआ और बड़ी ही सोचने की बात है। दिल्ली पर काबिज होने वाले अपनों ने ही इनकी ताकत और वजूद को ख़त्म करने का प्रयास किया। शायद अब जबर करने का काम इन हुक्मरानों का था। यहाँ यह बात भी जिक्र योग है। सिखों की सहमति से ही भारत में वह रहे। सिखों ने मुगलों के राज में सिख राज की स्थापना की ये एक बहुत बड़ी बात है। उसके बाद अंग्रेजों को रोके रखा ये भी एक इतिहास है। सिखों ने अंग्रेजों से कोई जंग नहीं लड़ी बस सूझबूझ से अफगानों से टक्कर लेते हुए कूटनीति के द्वारा महराजा रणजीत सिंह ने अंग्रेजों को आगे नहीं बढ़ने दिया। क्यूंकि महराजा जानते थे अफगानों और अंग्रेजों को दोनों तरफ से रोकना मुश्किल हो जाएगा। महराजा के देहांत के बाद अंग्रेजों ने उनके राज्य को अपने एम्पायर में विलय किया। अगर लाहौर को भारत में रखा होता तो ये भारत और सिख इतिहास के लिए गौरव की बात होती।
जय हिन्द।
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