Democracy : - लोकतंत्र क्या। है। भारत में सरकारें क्यूँ राज्यों और देश को कर्ज में डुबों रही हैं। एक सत्य के साथ रिपोर्ट ?

 भारत की भूगोलिक स्तिथि में अनमोल खजाने हैं। इसके अतिरिक्त मेन पावर और यहाँ के निवासियों की तेज बुद्धि और ज्ञान से भरा इतिहास आदि आदि।



हर तरह से यह देश इस लायक है। कि तरक्की करे और हो क्या रहा है। करोड़ों का कर्ज देश और राज्य पर है। हम अभी भी पूर्णताः शिक्षित नहीं हुए और हमारे देश के बहुत से वर्ग एक दूसरे के सामान्य नहीं हुए। हर व्यक्ति को भरपेट खाना, पहनने के लिए कपडा और रहने के लिए मकान यानी की मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। देश के बहुत सारे नागरिक, कुछ लोग अमीर होते जा रहें हैं। कुछ लोग गरीब ये दूरी कम नहीं हो प् रही। अब आप लोग कहेंगे कि ये तो किसी विपक्षी पार्टी के नेता जैसा है। परन्तु यह सच है। और ये तब है। जब लोकतंत्र के अनुसार सरकार हम लोग चुनते हैं। हम लोग सही शिक्षा न प् सके ध्यान रखा जाता है। अगर सही चुनाव करना सीख जाएंगे तो बेईमानी को पकड़ लेंगे। ये मानना है। सरकार क्या।



इसका सबूत ये है। जबसे हम लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हुए है। सरकारों पर दबाव बन रहा है। और वह लोग जिनका लक्ष्य हमें उलझाना है। वह लोग भी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से हम लोगों को भ्रमित करते रहतें हैं। और हम लोग इतिहास से भी नहीं सीखते और लगातार उलझते रहते हैं। ये ही सत्य है। भारत में जब लोकतंत्र नहीं था तो शासन और प्रजा का तालमेल सही था उदाहरण :- छत्रपति शिवाजी महराज या महाराजा रणजीत सिंह का शासन जिसको इतिहास सहराता है। अब जब हम लोगों के पास अधिकार है। किसी भी सरकार या तंत्र को प्रभावित करने का तो सरकार या तंत्र क्र लोग दबाव में हैं। खुलकर काम नहीं कर पा रहे। जिस वजह से लाभ की जगह नुक्सान हो रहा है। जहाँ तक अनुभव है। लोकतंत्र का निर्माण इसलिए किया था कि देश की आजादी के समय आवाम जाग गया था। और हमारे देश का राजतंत्र विस्फल हो गया था इन लोगों ने अंग्रेजों से पेंशन लेकर अपनी प्रजा को उनके हाल पर छोड़ दिया था यानी अपनी जान बचाने के लिए इन्होने अपनी प्रजा को धोखा दिया। इसी कारण से आवाम को पावर दी गई जो कुछ वर्षो के बाद भूल गई कि उन्होंने क्या क्या कुर्बानियां दी सत्ता और पावर के लिए और लोगों के ऊपर राज करने का तरीका बदला। परन्तु लोगों का व्यहवार कुछ समय बाद गैरजिम्मेदाराना और न समझ और लालची हो गया जिसका रिजल्ट ये हुआ की हमारे हुक्मरान जो थे अपना हिस्सा लेकर आँखे मूँद कर बैठ गए और अंग्रेजों जैसे ही लुटेरों हम लोगों को गुप्त तरीके से लूटकर कर्जदार बनाते जा रहें हैं। अब भाई जब वो लुटेरें हैं तो कर्जदार क्यूँ बना रहे हैं। क्यूंकि अगर वो असल लुटेरे के रूप में आ जाएंगे तो विरोध होगा। इसलिए नकाब लगाकर बैठे हैं। साहूकार यानी व्यापारी का और अपने लक्ष्य पर ध्यान दे रहें हैं। और हम फिर से भ्रमित होकर हमें मिली हुई छूटों का आनंद ले रहें हैं। जिस एक जगह से नामात्र लाभ हो रहा है। और दूसरी जगह से लूट और सबसे बड़ी बात तो ये है। कि लूट के लिए मंच भी हम लोग देते हैं। जैसे राशन मुफ्त, डीजल, सब्जी महंगी और व्यापारियों के लोन माफ़ अब भाई जो राशन हम लोगों को मिलता है। वो ख़रीदा कहाँ से जाता है। परन्तु हमें क्या हमारा सवाल था रोटी कपडा और मकान रोटी यानी राशन मुफ्त बस सब्जी ही तो खरीदनी है। मकान प्रधानमन्त्री योजना में चाहे पूरे न सही कुछ तो मदद होगी और बोझ किस पर मध्यवर्गीयों पर जिनके पास चारपहिया गाडी है। इसलिए राशन कार्ड तो नहीं बन सकता चाहे गाड़ी फुल लोन पर हो और एक दिन बढ़ती मंहगाई से परेशान लोन की क़िस्त टूटी गाड़ी बैंक वाले ले गए यानी उन व्यक्तियों का कर्ज भरते भरते खुद कर्जदार हो गए। और सरकार अपने वोट बैंक और पार्टी फंड के लिए हम लोगों को गिरवी रखकर अपनी जेबें गर्म कर रही है। और अपनी जिम्मेदारियों पर पर्दा डाल रही है।



हम लोगों के मुंह पर ताले लगे हैं। धर्म के कारण एक दूसरे समुदाय या जाति को नीचा दिखाने के चक्कर में हम भूल गए हैं। कि हम सबसे बड़े देशद्रोही हैं। जैसे कुछ कुछ अहसास होने पर भी हम नजरअंदाज कर रहे हैं। चलता है कोई बात नहीं, हमें क्या, हम लोगों से अच्छे हमारे पूर्वज थे जो अंग्रेजों की लाठी खाकर ही सही जागे  और हमें आजादी दी। हम फिर गुलाम हो गए। तो क्या हम कपूत हो गए या कायर जो सामना ही नहीं करना चाहता सत्य का, वास्तविकता का और समय काट रहा है। जिसके दो लक्ष्य हैं। भारत के मैच में अपना देश प्रेम जगाकर सपोर्ट करना और पाकिस्तान का हर हाल में विरोध करना, चीन का विरोध करना अगर लक्ष्य हो तो चाइनीज माल का इस्तेमाल कर चीन को आर्थिक रूप से मजबूत करेंगें। क्रिकेट में पाकिस्तान के नाम का सट्टा खेल जाएंगे। परन्तु अपनी अंतरआत्मा को अनदेखा कर जाएंगे।



अब कितना लिखूं या बोलू, लोकतंत्र ने जो पावर मेरे को दी है। क्या मै उसका हकदार हूँ क्या मैंने इतिहास से सीखा है। कहीं ऐसा तो नहीं है। आजाद होने के समय अंग्रेज हमारी नेचर को समझ फिर हमारे साथ धोखा कर गए।

जय हिन्द।

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