14 नवम्बर को जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधान मंत्री के जन्मदिन पर बाल दिवस मनाने की पुरानी प्रथा है। परन्तु जैसे देश में सरकार बदली तो विचारधारा बदली और 26 दिसम्बर को वीरबाल दिवस को छोटे साहिबजादों के नाम से मनाने का प्रस्ताव पारित करने का प्रस्ताव सरकार ने पारित किया है। इसी पर राजनीति हो रही है।
अब यहाँ पर बताना चाहेंगे कि छोटे साहिबजादों की शहीदी को बार बार नमन करतें हैं। और उनके शहीद होने का सारा घटनाक्रम जब अन्याय के खिलाफ उनका प्रदर्शन और शहादत एक बहुत ही दिल को छू जाने वाली घटना है। उसको बयाँ करने के लिए जितना कहें उतना कम है। परन्तु सरकार ने उनके शहीदी दिवस को वीर दिवस के रूप में मनाने के लिए 26 दिसंबर का दिन रखा है। जो कि भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का जन्मदिन है। और उसी दिन आज़ाद भारत में बाल दिवस मनाया जाता है। और वो कांग्रेस के नेता भी थे। उन्होंने सिखों से वादा खिलाफी भी की थी। ये भी इतिहास है। उसी कारण से आज़ाद भारत में वादा खिलाफी के बाद सबसे ज्यादा गलत भी कांग्रेस के समय में हुआ। क्यूँ कांग्रेस के नेताओं ने धोखा दिया और वही धोखा अंदर ही अंदर तंग करता है। इसी कारण बहुत नुक्सान सिखों और पंजाब ने झेला।
यहाँ ये बताना भी उचित होगा सिख धर्म में जबर के खिलाफ जंग किसी जाति विषय के साथ नहीं थी अन्याय के खिलाफ थी, अब समस्या ये है। सिख धर्म में उन सात दिनों को मातम के रूप में मनाया जाता है। और जबर के खिलाफ हाय का नारा दिया जाता है। और इसी दिन को लेकर राजनीति शुरू हो गई अब यहाँ ये भी बता दें सरकार की नीतियों के खिलाफ पंजाब के नेतृत्व में किसानी आंदोलन भी लड़ा गया जिसका नेतृत्व बहुत ही बढ़िया रहा सरकार के खिलाफ जैसा प्रदर्शन किया गया ये सिखों और पंजाब की नसों में है। और छोटे साहिबजादों ने भी जिस तरह से उस समय स्थिति को हैंडल किया वो भी बहुत ही यादगार और ऐतिहासिक है। इसलिए किसी भी सिख ने इस बात में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई और क्यूँ आंदोलन के दौरान सिख सरकार के हर रुख को समझते हुए उसका उचित जवाब देते थे। वो नेतृत्व इस वीर बाल दिवस के पीछे की मंशा को भी खूब समझते हैं।
यहाँ पर हम उन मौक़ापरस्त लोंगो या नेताओं की बात नहीं कर रहे जो सिख पंथ के गद्दार रहे हैं। इसलिए सिखों की समझ की दुनिया कायल है। परन्तु हमारे देश में सबसे ज्यादा जोक भी इसी धर्म के लोगों पर हैं। जानते हैं क्यूँ कि जो ये लोग भारत की मर्यादा के लिए कर गए वो जो नहीं कर सके वो ही इनका मजाक उड़ाते हैं। क्यूंकि वो देश प्रेम को समझ ही नहीं सकते इंसानियत के लिए मिटना वही कर सकते। सरकार राजनीति करना बंद करके लोकहित में कार्य करे। सिख तुरंत साथ आ जायेंगे।
जय हिन्द।
0 टिप्पणियाँ