कलयुग में बेईमानी को भी किया जाता है। रिश्तों में धोखा देने वाले से आप क्या उम्मीद करेंगे समाज सेवा की देश सेवा की बेईमानी का अर्थ है। अपने ईमान से विमुख होकर अपने इर्द-गिर्द का नुक्सान करना इसी पर बात करतें हैं।
हमारे देश का तंत्र ऐसा है कि जो अधिकारी सेवा में बैठा होता है। और वही मेवा खा रहा होता है। ईमानदार अधिकारी बहुत कम हैं। इस समय हम कुछ उदाहरण आपको पेश करेंगे जैसे ग्राम समाज में हो रहीं बहुत सी धांधलियां, मनरेगा में काम करने वाले मजदूर कम होतें हैं और जो लिस्ट तैयार की जाती है उसमें नाम ज्यादा लोगों का होता है। और हम सब आँखे बंद करके नजर अंदाज करते हैं। अपने ईमान से सभी विमुख होकर होता हुआ देखते रहतें हैं। जिम्मेदारी कोई नहीं उठाता। और भी बहुत सी कमियां हैं जैसे शौचालय जिस लाभार्ती को मिलना है उसको मिलता नहीं और नाबालिकों को दिया जाता है। इसके बहुत से उदाहरण ग्राम पंचायतों में हैं। जिसमें सेक्रेटी (सचिव), ग्राम प्रधान, पंचायतमित्र ये सब मिलकर कर रहे हैं धांधलियां, पैसे के लालच में भ्रष्ट्राचार का बोलबाला है। लोगों को जानकारी ही नहीं है। अगर है भी तो गांधी जी के तीन बन्दर बनकर गलत को नजरअंदाज करते हैं।
देश के विकास के लिए जनता का जागरुक होना बहुत जरुरी है। और भ्रष्ट्राचार पर लगाम लगना बहुत जरुरी है। इसके लिए हम लोग अपनी जिम्मेदारी निभा रहें हैं। जिस देश में अधिकारी की कुर्सी के लिए भी पैसा लिया जाता है। उसके अंदर बदलाव लाना बहुत मुश्किल है। परन्तु नामुमकिन नहीं है। भ्रष्ट्राचार का एक कारण ये भी है। इसे लोकतंत्र के वोट के माध्यम से जीते नेता भी करवाते हैं। और ईमानदारी से उनके खिलाफ लिखने वालों को भुगतना पड़ता है। क्यूंकि किसी को गलती स्वीकार ही नहीं है। परन्तु अगर नहीं जागेंगे तो सुधार कैसे होगा।
इस लेख में हम लोगों ने पंचायत और उनके कार्यों में हो रहे भ्रष्ट्राचार का जिक्र किया है। अभी बहुत से ऐसे विभाग हैं जिन पर बात बाकी है। पहले आप विचार दें कि पर लिखे अंत में जागो इण्डिया जागो।
जय हिन्द।
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