Lakhimpur Kheri :- आखिर क्यूँ राकेश टिकैत पर लखीमपुर-खीरी में मुक़दमा दर्ज करके पुलिस इस बात को छिपाती रही ?



इस समय कोई भी अधिकारी या कर्मचारी समस्या को नहीं लेना चाहता भारत में क़ायदा कानून है ही नहीं उन मामलों में जिसमें जन आक्रोश धरना वा रोष मार्च कर सकता हो। क्यूँ देखा गया है। जब कोई समस्या शासन व प्रशासन पर आती है। तो कुछ कर्मचारियों या अधिकारियों के ऊपर गाज गिरती है। और दिखावा करके उस समस्या को दबा दिया जाता है। और यही जिन्न फिर कुछ समय बाद वापिस निकल आता है। क्योंकि सिद्धांत है। जो बात दबाई या छुपाई जायेगी वो एक न एक दिन बाहर तो आएगी। कहा जाता है कि लखीमपुर के पहले DM साहब भी यहाँ से इस लिए हट गए थे क्योंकि यहाँ पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और किसान संगठनों में तकरार है। जो जग जाहिर है। दबाव अधिकारियों को झेलना पड़ता है।

अब बात करते हैं। इस समय के मुद्दों की किसान नेता राकेश टिकैत पर स्थानीय भाजपा नेता की तहरीर पर टिकैत के बयानों को लेकर एक मुक़दमा कोतवाली सदर में दर्ज हुआ। जिसको पुलिस ने दर्ज तो कर लिया परन्तु किया कुछ नहीं या यूँ कहे छुपा लिया। जब सोशल मीडिया पर अचानक भाजपा नेताओं ने यह सूचना वायरल कर दी, उसके बाद यह प्रकरण सामने आ गया। पुलिस अधिकारी इस प्रकरण में जाँच की बात कर रहे हैं। इंस्पेक्टर कोतवाल चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि मुक़दमा दर्ज हो गया है। अब जाँच चल रही है।

क्या था पूरा प्रकरण :-

राकेश टिकैत ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान लखीमपुर के लोगों पर टिप्पणी की थी जिस पर बीजेपी नेता दीपक पुरी ने तहरीर दी थी। पुरी ने टिकैत पर बिना अनुमति के प्रदर्शन करने, चैनल पर बयान देकर द्वेष फैलाने व लोगों को भड़काने का आरोप लगाया। पुलिस ने मुक़दमा दर्ज कर लिया लेकिन छिपा लिया, वैसे टिकैत के बयानों को लेकर लखीमपुर समेत गोला, धौरहरा आदि में प्रदर्शन किया बीजेपी समर्थकों ने।

यहाँ हम बताना चाहेंगे कि संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में राकेश टिकैत के नेतृत्व में तीन दिन का धरना प्रदर्शन किया गया। परन्तु इन बयानों का विरोध होने के कारण 75 घंटे का धरना प्रदर्शन 55 घण्टे में समाप्त करना पड़ा। लखीमपुर पहले भी टिकुनियाँ काण्ड के कारण पूरे देश में पॉपुलर हो है। अब इस घटना को प्रशासन ने कंट्रोल तो कर लिया परन्तु मुक़दमा तो दर्ज हो ही गया। अब भाजपा नेता इस मौके को खोना नहीं चाहते। सोशल मीडिया पर प्रचार हो रहा है। बाकी अफ़वाहों के दौर में ये भी कहा जा रहा है कि राकेश टिकैत 75 घण्टे के धरना प्रदर्शन के हक़ में नहीं थे परन्तु SKM के दबाव में प्रोग्राम करना पड़ा इस सारे घटनाक्रम पर अगर नज़र डालें तो समझदार को इशारा ही काफ़ी है। 

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