9 जुलाई 2022
आज की अखबारों की सुर्ख़ियों में है की सौ प्रमुख लोगों ने सुप्रीम कोर्ट की टिपण्णीयों पर खुला पत्र लिखा है। जिसमे ये कहा गया है की टिपण्णी करके सुप्रीम कोर्ट लछ्मण रेखा को नाघा है नूपुर शर्मा सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ मांगने गई थी परन्तु सुप्रीमकोर्ट के न्यायधीशों सुनवाई करते हुये नूपुर शर्मा पर टिपण्णी करके, सुप्रीमकोर्ट में न्याय मांगने गई नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहराना वस्तुतः उदयपुर की निशंक हत्या की घटना को माफ़ करने जैसा है। इस विषय में खुले पत्र पर 117 लोगों ने हस्ताछर किये जिसमें 15 पूर्व जज 77 नौकरशाह 25 पूर्व सैन्य अफसरों ने अपनी राय रख्खी है पत्र में कोर्ट से उन टिपण्णीयों को वापस लेने का आग्रह किया गया। है भारत जैसे विकास शील देश के अंदर हमेशा ही एक समुदाय के मन में अनदेखा करने कि भावना चलती रही है।
हम भारतीयों में सदैव ये भावना रही है कि हम दूसरों को ज्यादा देने में अपनी न्याय पसंद छवि को दर्शाने की कोशिश करते रहे है चाहे महात्मा गांधी हों या कोई अन्य नेता उन्होंने हमेशा इस तरह से फैसले किये गए हैं कि मुस्लिम समुदाय को पूरा इन्साफ मिल सके परन्तु आज के हालातों में ये बात नजर आ रही है कि हिन्दुओं के साथ में इंसाफ नहीं किया गया हिन्दू समुदाय के कुछ लोगों के मन में ये भावना का चलना नूपुर शर्मा जैसी शख्सियतों को जन्म देता है। और एक दूसरे को नीचा दिखाने की भावनावों के चलते हमारे देश का विकास रुक सा जाता है क्योंकि हम लोगों की मेन पावर और सोंचने की शक्ति एक दूसरे को नीचा दिखाने पर खर्च हो जाती है मौजूदा सरकारों को सविंधान को मद्देनजर रखते हुए कुछ उचित क़दमों को उठाने की जरूरत है ताकि देश तरक्की कर सके।
संपादक की कलम से
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