जानते है नानकमत्ता के पीपल का इतिहास
उत्तराखंड में स्थित नानकमत्ता गुरुद्वारा जहाँ एक पीपल का पेड़ है जिसके आधे पत्ते हरे और आधे पत्ते लाल है | पतझड़ के बाद जब उस पीपल के पेड़ पर पत्ते आते है तो उसके आधे पत्ते लाल और आधे पत्ते हरे होते है और आपको इस पेड़ की खासियत बता दे की इसकी जड़ धरती से ऊपर है , 500 साल पहले योगियो द्वारा गुरुनानक जी से गोष्टी में हारने के बाद पीपल को हवा मे उडाना चाहां था ,जिसे गुरु साहब ने पवित्र पंजा लगाकर रोक दिया था ,ये आज भी वही रुका हुआ है , उसके सौ साल बाद गुरुहरगोबिंद के समय एक बार फिर से सिद्ध योगियों ने पीपल साहब को जला दिया था, फिर हरा - भरा हो गया और उन योगियों को नानकमत्ता साहब की धरती से खदेड़ दिया अब यहाँ पर एक भव्य गुरुद्वारा है और भी यहाँ पर और भी एतिहासिक चिन्ह है जैसे - दूध वाला कुआं , भंडारी बोहड़ , फौड़ी गंगा आदि |
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