प्रशासन द्वारा किसानों को लूटने के लिए तैयारी का ऐलान।

    जो व्यक्ति किसान नहीं है वह मेरे द्वारा डाले गए टाइटल से सहमत नहीं होंगे। और किसानों के समर्थन में बोलने वाले किसान संगठनों और मेरे जैसे लोगों को जी भर कर लानत भेजेंगे और होना भी चाहिए। किसी का समर्थन करने के साथ हम लोगों को किसानों का नुकसान भी देखना चाहिए। सामने वाले को क्या समस्या है उसे समस्या पर विचार करना चाहिए। यहां पर बार-बार किसानों का शोषण होने पर मन में विचार आता है चाहे हमारा संविधान लोकतंत्र का समर्थन करता है परंतु हमारे समाज के कुछ लोग उनको किसानों की स्थिति से कोई मतलब नहीं है।

             अब आप लोग कहेंगे कारण तो बताएं क्या है। कारण है भाइयों ! शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) के जिला अधिकारी महोदय ने फरमान जारी किया है कि इस गेहूं के सीजन में तीन मजिस्ट्रेटरों की निगरानी में गेहूं की खरीद पर नजर रखी जाएगी। और बिचौलियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम से कम दर पर किसी भी दशा में विक्रय ना होने पाए। इसके लिए अवैध गेहूं भंडारण व संचरण पर रोक लगाई जाने के लिए तीन मजिस्ट्रेट लगाए गए हैं। जिससे बिचौलियों पर कार्रवाई की जा सके। मंडल रेल प्रबंधक मुरादाबाद को पत्र लिखकर बताया कि रबी विपणन वर्ष 2024-25 के अंतर्गत जनपद से मल्टीनेशनल कंपनीज,व्यापारियों द्वारा माह अप्रैल से बाहर जाने वाली रेंक पर अस्थाई रोक लगाए जाने को कहा। डिप्टी आरएमओ ने डीएम द्वारा मंडल प्रबंधक भारतीय खाद्यान्न निगम शाहजहांपुर को लिखे पत्र का जिक्र करते बताया कि जनपद में गेहूं क्रय लक्ष्य 311000 मीट्रिक टन रखा गया है।



            इस खबर को अखबार में प्रकाशित कर जनता में जानकारी दी गई। पिछले गेहूं के सीजन में सरकार व प्रशासन द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से यानि एम एस पी से 100-200 रुपए महंगा गेहूं बिका था। और किसान लाभ में रहा और प्रशासन तय खरीद का लक्ष्य पूर्ण नहीं कर सका। इस कारण से मीडिया में किसानों को लाभ दिलाने का ऐलान कर गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली और अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसानों का शोषण करने की तैयारी कर ली।

      अब बात कड़वी है परंतु सत्य है। जब किसान आंदोलन कर रहा था तो कितना कुछ किसानों को कहा गया और आज जब मुफ्त में या गल्ले में बंटने के लिए अनाज कम पड़ रहा है तो कीमत भी किसान की फसल की कम करने का प्रयास शुरू हो गया। फिर से राजनीति का शिकार कौन हो रहा है किसान और वह भी कमजोर किसान, क्योंकि फसल आते ही जो किसान पूर्णतया खेती पर निर्भर है अप्रैल माह की रोक उसी किसान को प्रभावित करेगी। जो मजबूत किसान है वह गेहूं को रोक सकते हैं उनके पास साधन है और गेहूं की फसल को रोका जा सकता है।

           व्यापारियों और मल्टीनेशनल कंपनीज के गेहूं बाजार में न उतरने से गेहूं खरीद प्रभावित होगी। प्रशासन ने खरीद कंपटीशन पर रोक लगा दी और किसानों को मिलने वाले लाभ के मूल्यों के अवसर समाप्त कर दिए और एहसास करवा दिया की कैसे अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए किसानों का शोषण किया जाता है। और समय के अनुसार होता रहेगा। चाहे कितने भी आंदोलन कर लो। इस देश की व्यवस्थाओं को संतुलन में रखने के लिए किसान को ही समझौता करना पड़ेगा। क्योंकि वह अन्नदाता है यह शब्द किसान का सम्मान है या उसकी गाल पर थप्पड़।

          कृपया कमेंट करें।

                               जय हिंद।

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