मरीज को घर से लेकर जाने की व्यवस्था -

 मरीज को घर से लेकर जाने की वयवस्था  - नशा मुक्ति केंद्र के प्रचार में आप लोगो ने अक्सर ये लाइन को पढ़ा  होगा। इसी पर बात करते है।  हमारे संभिधान के अनुसार हर व्यक्ति को जीवन अपने ढंग से जीने का अधिकार है।  बस उसके जीवन - जीने  के तरीके से किसी का नुकसान न हो। किसी की जान को खतरा न हो।  वो मानसिक रूप से इतना बीमार न हो। कि वो खुद आत्महत्या की स्थति में ना आ जाए। सरल शब्दों में वो मानसिक रूप में विसप्त ना हो या पागल न हो।,,   

एम्बुलेंस 
तो क्या एक व्यक्ति जो नशे से ग्रस्त है। वो इस तरह का व्यक्ति होता है।  क्या वो पागल होता है। इसका जवाब है नहीं। जब व्यक्ति आपने नियंतरण से नशे के पदार्थ के नियंतरण में चला जाता है।  तब भी वो पागल नहीं होता है। हा नशे के चंगुल में जाने के बाद वो नशे की प्राप्ति के लिए कुछ ऐसी हरकते करता है। जो सामने वाले व्यक्ति को अच्छी नहीं लगती और यही शुरू होता है खेल पैसो का और अपनी सोच या आपना  कपदा कानून थोकने के चक्कर में नशे से ग्रस्त व्यक्ति को जबरजस्ती घर से पकड़ा जाता है।  और नशा मुक्ति केंद्रो के नाम पर घटनाओं की जगह पर उसे बंद कर दिया जाता है। जिस व्यक्ति को मार्गदरशन की जरुरत होती ह। उस व्यक्ति के साथ जबरजस्ती की जाती है। जिसका परिडाम घातक हो जाता है।  और वो व्यक्ति अपनी व दूसरो की जिंदगी के लिए घातक हो जाता है। और इसके पीछे का कारण यह भी है कि वह व्यक्ति जो नशे के आगे बेहोश था जब वो दुसरो के सामने बेहोशी महसूस करता है।  तो वो अपनी उस स्थिति का सामना नहीं करना चाहता और वो घातक हो जाता है।,,  
 एक कदम सच्चाई के और 👈
जब कोई व्यक्ति गलती करता है।  तो वो उसे दर्द देकर क्षिपा देता है। चाहे वो छिपाना आपने आपसे हो या दुसरो के सामने आदमी कमी को छिपाना हो और जब आपने आपसे जबरजस्ती उस पर हम अपनी सोच को ठोकते है। तो उसे समस्या होना वाकिब है।  इसी समस्या के कारण वो और ज्यादा अंग्रेजिक महसूस करता है। कहाँ उसका  जीवन नशा मुक्त होकर होकर निखरना चाहिए था। यही जबरजस्ती उसके व उसके परिवार के लिए खतरनाक हो जाती है। और ये सब खेल में सिर्फ पैसो का लाभ लेने के लिए अधूरा नशा मुक्ति केंद्र व्यक्ति के जीवन से खेल जाते है।    
   
ऐसा नहीं है। सरकार इन सब बातो को लेकर जाग्रत नहीं है। आप किसी को जबरजस्ती ताले में नहीं रख सकते है। और ना ही जबरजस्ती पकड़ सकते है। इन मामलो में सरकार की गाईडलईन है। परन्तु लोगो को ज्ञान नहीं है।  और भ्रस्ट लोग इसलिए दबा लेते है।  कि आपने तो पैसे बन रहे है। आपने को क्या मतलब और कुछ अधिकारी और कर्मचारी भ्रस्ट नहीं होते है।  परन्तु जब देखते है।  कि ऊपर से लेकर निचे तक भ्रस्टाचार की दीमक लगी है।  तो वो समस्या लेने से बचते है।  इसी कारण से इन लोगो को घूर मिली हुयी है।  और जो  मेरे जैसा कोई अगर कुछ बाते लिख भी देगा।  तो क्या फर्क पड़ेगा।  भ्रस्टाचार के पैसो से लाभ तो सभी ले रहे है।  और जो पैसा दे रहे है. उन्हें भी तो इतना ही ज्ञान है।    
                                   परन्तु हम लोगो को प्रयास करते रहना है।  ये हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।                                                                                                                                                                                                                                                           जय। हिन्द। 😍 जय। भारत।                                                                                                                                                                                                              ध्यानवाद 🙏                                                                                                                                                                     

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