लाल-बाल-पाल की त्रिमूर्ति के नाम से जाना जाता है। लाल मतलब लाला लाजपत राय बाल मतलब बाल गंगाधर तिलक और पाल मतलब बिपिन चंद्र पाल ये कांग्रेस के गरमदल के नेता थे। लाला जी का जन्म 28 जनवरी 1865 को दुधि के पंजाब जिला मोगा में हुआ और उनकी मृत्यु 17 नवम्बर 1928 को 63 वर्ष के दौरान हुई। वह अग्रवाल परिवार में पैदा हुए पेशे से वकील थे। 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन करते हुए उन पर लाठी चार्ज हुआ। घायल लाला जी ने कहा 'मेरे शरीर पर पड़ी एक एक लाठी ब्रिटिशसरकार के ताबूत में एक एक कील का काम करेगी' वही हुआ लाला जी की मृत्यु के बाद देश उत्तेजित हो गया गांधी जी के उसूलों को परे रखकर चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव आदि ने बदला लेने की शपथ ली। और एक महीने में 17 दिसंबर 1928 को पुलिस के अफसर सांडर्स को गोली मार दी। उसके बाद भारत में पहली बार खुलेआम गांधीजी से अलग एक नई क्रांतिकारी दल को लोगों ने सहराया वो थे चंद्रशेखर आज़ाद और भगतसिंह जो थोड़े समय में ही गांधी जी के व्यक्तित्व पर हावी हो गए। गांधी जी ने आधा स्वराज माँगा और भगत सिंह ने जेल से पूर्ण स्वराज की मांग की और लोगों का समर्थन मिला और उसी समर्थन को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू ने भी खुले मंच से पूर्ण स्वराज की मांग रख दी। जिसके कारण नेहरू को गांधी जी से काफी कुछ सुनना पड़ा।
लाला जी का जीवन गांधी जी के व्यक्तित्व के सामने दब गया। परन्तु उनकी मृत्यु और उनके बदले लेने पर वो शहीद होकर गांधी जी के लिए सवाल बन गए। हालांकि आजाद भारत में जितना नाम गांधी जी ने और नेहरू को मिला उतना महत्त्व लाला जी को नहीं दिया गया और इसका कारण गांधी जी का सरनेम और नेहरू जी के वंशजों का राज रहा इसी कारण इन सभी को वो सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए।
लाला जी के 1894 में पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मीइंश्योरेंस कम्पनी से भी जुड़े रहे। लाला जी लेखक भी रहे और उन्होंने हिंदी में कई साहित्त्य भी लिखे। अब करतार सिंह सराभा की कही पंक्ति याद आ गई।
'सेवा देश की जिंदड़िये बड़ी ओखी'
'सेवा देश की बड़ी मुश्किल है जान जी'
'गलां करियाँ ढेर सखियाँ ने'
'बातें बड़ी बड़ी करनी आसान है'
'जिन देश सेवा विच पैर पाया'
'जिन्होंने ने देश सेवा में पैर रखा'
'उनां लख मुसीबतां चहलियाँ ने'
'उन्होंने लाख मुसीबत सही है।'
जय हिंद
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