Late Mulayam Singh Yadav :- स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव, एक जमीन से जुड़े हुए राजनेता धर्म के नाम पर बंटे समाज पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी कर चिंता।



अभी कुछ दिन पहले सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया था और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के खीरी जिले की गोला गोकरण नाथ विधान सभा में उप चुनाव है। प्रदेश में इन दो बड़ी ख़बरों के कारण राजनीतिक गुप्तगू होना सुभाविक है। इसी बातचीत में एक व्यक्ति ने तंज कसा जिसके कारण उसकी बात की तरफ ध्यान गया। उस व्यक्ति ने कहा रावण का निधन हो गया अब अयोध्या में दीपावली मनाई जायेगी। उस व्यक्ति ने रावण कहकर जिसे सम्बोधित किया था वो थे मुलायमसिंह यादव मैंने उससे ऐसा कहने का कारण पुछा तो उसने कहा कि मुलायम सिंह यादव के आदेश पर ही कारसेवकों पर गोलियां चली कुछ लोगों की जान चली गई और कट्टर हिन्दुओं की नजर में मुलायम सिंह यादव विलेन बन गए। वैसे भी ये लोग उन्हें मुल्ला मुलायम कहते थे। एक विचारक होने के नाते मैंने इस विषय पर फिर से विश्लेक्षण किया। पहले भी इस पर लाखों बार इस विषय पर बात हो चुकी है। परन्तु फिर से कहना चाहूंगा। आज जब मैं ये लेख लिख रहा हूँ तो सर्वोत्तम न्यायलय ने एक टिपण्णी की कि जैसा बर्ताव देश में एक विशेष समुदाय के साथ किया जा रहा है। ये चिंता का विषय है। भारत न ही किसी समुदाय को टार्गेट कर सकते हैं। ऐसा करने पर हम अपने लक्ष्य से पीछे हट जाएंगे। जिसके तहत सविधान लागू किया गया और समाज में हो बिलकुल उलट रहा है। ऐसी कुछ चिंताएं सर्वोत्तम न्यायलय ने की। बात मुलायम जी की हो रही थी। उनके निधन पर बीजेपी के लगभग सभी बड़े नेता मौजूद थे और इससे ये बात साबित होती है कि सभी मुलायमजी का कितना सम्मान करते थे। गोली चलवा कर भी उन्होंने क़ानून व्यवस्था को कायम रखा और सविंधान की रक्षा की। इसी कारण से सभी पार्टियों के नेता उनका सम्मान करते थे। अब जिन्होंने मुलायम जी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया तो ये वो लोग थे जिन्हे मुद्दों की कोई समझ नहीं है। वह धर्म की राजनीति में उलझकर अपने देश के समाज को बांटने का काम कर रहे हैं। अब उस व्यक्ति का दूसरा तर्क जो था की जीस समुदाय को वह टार्गेट कर रहा है। हम लोग उनका जितना भी आदर कर लें वो मौका मिलने पर हम लोगों को उस लेंगे। वोट की राजनीति में धर्म को डालकर कितना जहर दोनों समुदायों के नासमझ लोगों में भर दिया है। कि फिर से देश बंट रहा है। और इसका लाभ उठा रहें हैं वो लुटेरे जो राजनीति या व्यापार दोनों ही जगह से लोगों का ध्यान भटकाकर दोनों हाथों से लूट रहे हैं। परन्तु नेता जी (मुलायम सिंह यादव) जो पेशे से शिक्षक थे। उनको मौका मिला उन्होंने विपक्षियों का दिल भी जीता था। परन्तु धर्म की पट्टी आँखों पर बांधकर ये नासमझ लोग अपने ही देश की तरक्की में बाधक बन रहे हैं। और जिन्हे विपक्ष भी सम्मान देता है। उन्हें अज्ञानता में अपशब्द कह रहें हैं। यहाँ मै सिर्फ इतना ही कह सकूंगा कि जिस समाज ने अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान नहीं किया वो तरक्की नहीं कर सकता और सर्वोत्तम न्यायलय की समाज के प्रति चिंता सही बात की गवाही भी है। हमें इतिहास से सीख लेने की जरुरत है। और नेता जी जैसी महान आत्माओं का नमन करने की जरुरत है। तभी देश तरक्की करेगा।

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