(बलात्कार और हत्याकांड के अपराधों की लड़ी)
लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल में
सबसे बड़ा जिला है। गन्ने की खेती और 9 शुगर मिलें इस जिले में हैं। दुधवा नेशनल पार्क
और छोटी काशी के रूप में मशहूर गोला गोकरण नाथ शिवजी का मंदिर इस जिले की
उपलब्धियों में है। परन्तु इस जिले के नाम कई और मुद्दे भी हैं जो अपराध से जुड़े
हैं। वैसे ये जिला लकड़ी की चोरी और नेपाल के से सटे होने के कारण खाद की तस्करी
में भी मशहूर है। माफिया और पुलिस की सांठ गाँठ के कारण गुपछुप के इस खेल में कई
बार बड़े अपराध भी हो जाते हैं। इसी का एक उदाहरण हम आपको देतें हैं 2011 में एक नाबालिक
लड़की सोनम जिसकी हत्या हो जाने के बाद थानाध्यक्ष सहित 11 पुलिस कर्मियों
को घटना के बाद निलंबित कर दिया गया। ये घटना थाना परिसर में घटित हुई थी
राजनेताओं के हस्ताक्षेप के बाद पहली बार तीन डाक्टरों को सस्पेंड किया गया। इसके
अतिरिक्त कई और पुलिस अधिकारियों और कर्मियों पर गाज गिरी। अब आप अंदाजा लगा सकते
हैं कि किस तरह ये अपराधी एक दूसरे से जुड़े हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं।
अपराधी इसलिए कहा जा रहा है। कि ये लोग जो किसी न किसी रूप में एक दूसरे की ढाल
बनते है जिनका काम सिर्फ पैसे को पैदा करना है। और ऊंची से ऊँची सीट पर बैठ कर
मलाई को खाना है। उसी में से कुछ सिपाहियों की नियत सोनम पर खराब हुई बलात्कार का
प्रयास किया और अपराध को छुपाने के लिए थाने में ही एक पेड़ से लटका दिया और उन को
बचाने के चक्कर में अधिकारियों के साथ डाक्टरों पर भी गाज गिरी। ये है। सर्किल ?
अब आप कहेंगे इतनी पुरानी घटना का जिक्र करके
आखिर साबित क्या करना चाहतें हैं। यहाँ के प्रशासन का ये हाल होगा। वहां के अपराधी
किस्म के लोग कैसे स्वत्रंत होगें अपराध करने के लिए, अब एक और घटना
से बतातें हैं। एक बार एक मोटर साइकिल को पुलिस ने पकड़ लिया और जब उसको छुड़वाने के
लिए स्थानीय विधायक जी से फोन करवाया गया तो दरोगा जी बतातें हैं। अगर सीधा आते तो
1000/- और
अब विधायक की सिफारिश है तो 3000/-
क्यूँ उसे भी तो हिस्सा देना पड़ेगा। और जो व्यक्ति विधायक का फोन
करवा सकता है। वो मालदार तो होगा ही इससे आप समझ सकते हैं लखीमपुर माहौल शब्द सख्त
जरूर है। परन्तु ये सत्य है। जो यहाँ के अपराध के घटित होने के पीछे का सच भी है।
अभी दो नाबालिक लड़कियों को फांसी पर लटका दिया।
इसमें लड़कियों की मॉँ और पुलिस के ब्यानो में अंतर है। गाँव में एक दलित परिवार
में घुसकर बरामदे से घसीटते हुए लड़कियों को ले जाया गया। मॉ के अनुसार 15 और 17 साल
की लड़कियों को अगवा किया गया। वही पुलिस की थ्योरी के अनुसार लडकियां सहमति से गई।
अब दोनों में अंतर जिसका लाभ अपराधियों को मिलता है। अब इस मामले में क्या होगा इस
पर सभी की नजर रहेगी।
पहले भी किसानो के साथ हुई केंद्रीय ग्रहराज्य मंत्री के बेटे सहित बीजेपी कार्यकर्तांओं की झड़प चार किसान और तीन कार्यकर्ता व एक पत्रकार जान गवां चुके हैं। पुलिस कुछ नहीं कर पाई। जितने मुंह उतनी बातें परन्तु अपनी साख पर लगे दाग को नहीं मिटा पाई और मिटा भी कैसे पाती प्रशासन बंधा है कुछ मजबूरियों में जो सांविधानिक काम है बस अपनी पोजीशन पर कायम रहने के लिए निभानी जरूरी है। और भी कई काण्ड हैं। जो इस जिले को देश-विदेश तक लेकर आते है। जैसे मधुमिता काण्ड मधुमिता लखीमपुर की रहने वाली थी मंजू नाथ हत्या काण्ड इस पर भी मीडिया में बहुत उछाल मिला ऐसे ही कई हत्याकांड में ये जिला मशहूर रहा है। दरोगा हत्याकांड आदि।
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