SYL बनाम SYL ?

 आप लोग ऊपर की पक्तियों को देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे और सोचेंगे।             SYL का अर्थ तो आपको पता है। मगर दूसरा  SYL क्या है 

दूसरा SYL प्लान क्या है :- भारत में इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी जी ने भारत की नदियाँ का सर्वे करवाया और वो चाहतीं थी कि एक नदी को दूसरी नदी से जोड़ दिया जाए, परन्तु इंदिरा जी की मृत्यु हो गई और ये प्लान ठन्डे बस्ते में चला गया 2002 में स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने दोबारा इस प्लान के तहत सर्वे करवाया और उस सर्वे के बाद में ये रिपोर्ट दी गई उसमें इस प्लान की व्यवस्था और फंडिंग इत्त्यादि का ज़िक्र किया गया परन्तु कुछ अज्ञात कारणों के कारण ये परियोजना पर कार्य नहीं हो सका, अब माननीय नरेन्द्र मोदी जी की सरकार इस परियोजना पर कार्य करती हुई नजर आ रही है। लग रहा है अब ये परियोजना अपने मुकाम तक पहुँच जायेगी।



 क्या है ये परियोजना :- नेपाल की महाकाली नदी जो ज़िला चम्पावत से टनकपुर के होते हुए भारत में प्रवेश करती है भारत में इसका नाम शारदा नदी है, शारदा नदी बरसात के दिनों में यूपी के कुछ जिलों में व बिहार में और बंगाल में काफी नुक्सान करती है। जमीनों का कटान होता है। बाद में काफी जानमाल का नुक्सान होता है। इस नुक्सान को देखते हुए भारत की सरकार टनकपुर से एक बड़ी नहर मुज़फ़्फरनगर कैराना के पास यमुना में जोड़ने का प्लान है। पानी के सौम्य वाला मंत्रालय एक प्लान तैयार कर चुका है जिसके अनुसार इस नहर में राम गंगा, मन्दाकिनी, अलकनंदा इत्यादि छोटी नदियों का पानी गिराते हुए यमुना जी के साथ जोड़ने का प्लान है। रास्ते में गंगा जी के नीचे से या ऊपर से इस नहर को निकालनें का प्लान है। इस परियोजना से हरियाणा, उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश का कुछ हिस्सा राजस्थान और विलुप्त हो चुकी सरस्स्वती नदी को दुबारा से जीवांत करके गुजरात तक इस नहर के पानी का लाभ लिया जा सकता है। बाजपेयी जी के समय पर अधूरे रहे इस कार्यों को मोदी जी की सरकार पूरा करते हुए नजर आ रही है।


विवाद का हल :-
पंजाब हरियाणा व राजस्थान के लिए विवाद का कारण बनी हुई  SYL परियोजना दूसरी SYL परियोजना के कारण विवाद से बहार आ सकती है और इन प्रांतों का आपसी भाईचारा बरक़रार रह सकता है। हालाँकि किसान आंदोलन के समय इन प्रांतों के लोगों ने एक जुटता दिखा के भाईचारे की मिसाल को कायम किया है। परन्तु कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा इस परियोजना के नाम पर राजनीति करने के कारण ये परियोजना विवाद का कारण ही बनी रही। परन्तु पंजाब में अपनी राजनीति ज़मीन तलाशती हुई BJP शारदा यमुना लिंक के माध्यम से पंजाब में अपनी पकड़ को मजबूत कर सकती है। और पंजाब व हरियाणा की क्षेत्रीय  पार्टियों से SYL का मुद्दा दूर करके अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय देते हुए, भारत विजय का लक्ष्य पूरा कर सकती है।   

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